शनिवार, 27 मार्च 2010

मिथिलाक सौराठ सभा: खटर काका एखनो मिथिला में मौजूद छैथ सिर्फ हरिमोहन झा के अभाव अछि

मिथिलाक सौराठ सभा: खटर काका एखनो मिथिला में मौजूद छैथ सिर्फ हरिमोहन झा के अभाव अछि

खटर काका एखनो मिथिला में मौजूद छैथ सिर्फ हरिमोहन झा के अभाव अछि

मिथिला में की वाकई लेखक के अकाल अछि .अगर गौरी नाथ जी के बात पर विश्वास करी त मैथिलिक पत्र पत्रिका के नव लेखक ,कथाकार ,कवि ,आलोचक नहीं भेट रहल छैन्ह .गौरी नाथ जी पिछला एक दशक स एकटा मैथिलिक पत्रिका प्रकाशित कय रहल छथि . त जाहिर अछि अहि दौर में मैथिलि में निकले वाला पत्र-पत्रिका के स्थिति और उम्र पर चिंता व्यर्थ अछि .वेब दुनिया क बढ़ल वर्चस्व में मैथिलि  साहित्य और मिथिला के सम्बन्ध में किछु छिटफुट रचना नवतुरिया क उत्साह क रूप में सामने आयल अछि .लेकिन प्रतिबधता क घोर आभाव अछि .भावुकता में उत्साह में नवतुरिया कथाकार एक झलक देखा कय कतय बिला गेला से नहि जानी .किछु रचना अंग्रेजी में सेहो भेटल ,हिंदी में मैथिलिक रचनाक अनुबाद सेहो भेटल लेकिन मौलिक रचना बहुत कम भेटल .यानी हरमोहन झा स लय क बाबा नागार्जुन तक विद्यापति स लयक वियोगी जी तक ढेरो रचनाक अनुवाद ,रचनाक चर्चा वेब पर जरूर भेटत लेकिन वर्तमान के मामला में नव साहित्यक विधा चुप अछि , त की समाज में आब हरिमोहन झा पैदा नहि लय छैथ या फिर मैथिल समाज में खटर काका अनचिन्हार भय गेल छथि .हास्य मैथिल समाज के पहचान कलिहियो छल और आईओ अछि .त किया हास्य रचना बंद भय गेल .किया आब बाबा नागार्जुन ,सीताराम झा ,मनिपदम ,सुमन जी ,मधुप जी खामोश भय गेल छैथ .की हुनकर परंपरा आब मिथिला में ख़तम भय गेल अछि .
सुधिजन कहैत छथि जे साहित्य समाज के दर्पण होइत अछि .त की मैथिल समाज अपन पुरना साहित्य के लय क अपन पहचान कायम रखता .यानी हमरा साहित्य में नव किछु नहि अछि ,लेकिन हमर साहित्य एतेक समृद्ध अछि जे एक दो पुस्त हम और अपन अतीत के गावी और महिमा मंडन कय गौरवान्वित भय सकैत छि .लेकिन अबै वाला पीढ़ी हमरा सब पर कतेक गौरब करत एकर कल्पना कैल जा सकैत अछि .पिछला २० साल में भारत में प्रचलित २०० स अधिक भाषा और साहित्य बिलुप्त भय गेल अछि .अंदाजा लगाऊ अहि तरहे मैथिलि के बिलुप्त होए में आब कतेक समय लागत .मैथिल सुधिजन हर चर्चा में जोर स कहैत छैथि जे मैथिलि इंडो आर्यन भाषा में सबस बेसी समृद्ध अछि ,एकर तुलना में ओ भोजपुरी सहित आन साहित्य के बहुत पिछडल मानय छाथिन. हुनकर तर्क छैन्ह जे मैथिलि साहित्य के अपन इतिहास छैक ,महाकाव्य छैक ,लिपि छैक ,रचनाकारक लम्बा फेहरिस्त छैक .यानी इ समृधि मैथिलि के संविधान क अष्टम सूचि में जगह जरूर डे देलक ,लेकिन इ चिंता केनाय हम छोड़ी देलहुं जे मैथिलिक हमर बोली विलुप्त भय रहल अछि .

मैथिलि में लिखबाक ,मैथिलि में बाजबाक परंपरा ख़तम भय रहल अछि तकर कारण आर्थिक सेहो अछि .प्रकाशक कहैत छैथि जे मैथिलि साहित्य के खरीदार नहि छैक .नवतुरिया कहैत छैथ जे मैथिलि बाजी क नौकरी ढूंढ़ नाय मुश्किल अछि .कवि और रचनाकार क सवाल छैन्ह जे बताऊ मैथिलि में कतेक विडियो एल्बम और फिल्म बनैत अछि .यानी मार्केट और ओकर उर्जा भोजपुरी के लोकप्रिय बनोलक अछि ओही तुलना में मैथिलि कतो नहि अछि .त की समाज अहि के लेल दोषी छैथ या रचनाकार जे समाज के आंदोलित नहि कय सकैत छैथ .देश विदेश में फैलल मैथिल समाज मिथिला क श्रेष्ठ रचना ,किछु नव खोज चाहैत छैथ .की गाम वाली नबकी कनिया सनक भोजपुरी लय स भिजल मैथिलि क गीत के नवीन रचना कही सकैत छि .
त की हमर नविन पीढ़ी समाज के टेस्ट जाने में अक्षम छैथ या फिर हमर नव उदीयमान रचनाकार के पास कोनो दमदार आईडिया नहि छैन . भय सकैत अछि जे हम कतेको उदीयमान रचनाकार स परिचित नहि भेलहु अछि या हमर खोज एखन अधुरा अछि ,लेकिन एखन तक हम वेब पर या स्टाल पर जतेक खंगालाहू अछि ओहिमे हमरा सिर्फ निराशा भेटल अछि .
परिचय के मामला में हम एतेक पिछडल छि जे अपना संसथान में काज करेवाला मैथिल स परिचय होय में हमरा सबके साल लागि जैत अछि .हमर हिन् भावना सार्वजानिक जगह पर  एक दोसरा स मैथिलि में गप्प करबा स रोकैत अछि .तखन एकर निदान की अछि .संपर्क बढेबाक पहल बंद अछि तखन नव रचना क कल्पना केना भय सकैत अछि .विश्वास करू मैथिल समाज में अइयो कतेक खटर काका मौजूद छैथ ,कतेको गोनू झा घूर तर लोक के मनोरंजन कय रहल छैथ .इ हमरा सबहक दायित्वा अछि जे हुनकर प्रतिभा के समाज के बीच लाबी .कोनो जरूरी नहि छैक जे अहि के लेल हमरा हरिमोहन झा सनक लेखनी चाही ,कोनो जरूरी नहि छिक जे मिथिला के करून गाथा के लेल मधुप जी के याद करी .इ गाथा हमहू टुटल फूटल भाषा में लिखी सकैत छि .सिर्फ समृद्ध भूत पर वर्तमान और भविष्य क आधार मजबूत नहि कायल जा सकैत अछि .परम्परा के आगा बढैबा में कतेको नव रचनाकार के योगदान छैन्ह ,लेकिन अहि दिशा में और प्रयासक अपेक्षा अछि .
खटर काका एखनो मिथिला में मौजूद छैथ सिर्फ हरिमोहन झा के अभाव अछि

शुक्रवार, 19 मार्च 2010

मिथिला और बाबा नागार्जुन

उनको प्रणाम!
जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम।

कुछ कंठित औ' कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए;
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त तूणीर हुए!
उनको प्रणाम!

जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार,
मन की मन में ही रही, स्वयं
हो गए उसी में निराकार!
उनको प्रणाम!

जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे,
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे!
उनको प्रणाम

एकाकी और अकिंचन हो
जो भू-परिक्रमा को निकले,
हो गए पंगु, प्रति-पद जिनके
इतने अदृष्ट के दाव चले!
उनको प्रणाम

कृत-कृत नहीं जो हो पाए,
प्रत्युत फाँसी पर गए झूल
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल!
उनको प्रणाम!

थी उम्र साधना, पर जिनका
जीवन नाटक दु:खांत हुआ,
या जन्म-काल में सिंह लग्न
पर कुसमय ही देहाँत हुआ!
उनको प्रणाम

दृढ़ व्रत औ' दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्ति-मंत?
पर निरवधि बंदी जीवन ने
जिनकी धुन का कर दिया अंत!
उनको प्रणाम!

जिनकी सेवाएँ अतुलनीय
पर विज्ञापन से रहे दूर
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर-चूर!
उनको प्रणाम!
 

 कई दिनों तक चूल्हा रोया
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त ।


दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।

 चंदू, मैंने सपना देखा

चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूँ पटना लौटा
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू
चंदू,मैंने सपना देखा, खेल-कूद में हो बेकाबू

मैंने सपना देखा देखा, कल परसों ही छूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, खूब पतंगें लूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलंडर
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर मैं हूँ अंदर
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से पटना आए हो
चंदू, मैंने सपना देखा, मेरे लिए शहद लाए हो

चंदू मैंने सपना देखा, फैल गया है सुयश तुम्हारा
चंदू मैंने सपना देखा, तुम्हें जानता भारत सारा
चंदू मैंने सपना देखा, तुम तो बहुत बड़े डाक्टर हो
चंदू मैंने सपना देखा, अपनी ड्यूटी में तत्पर हो

चंदू, मैंने सपना देखा, इम्तिहान में बैठे हो तुम
चंदू, मैंने सपना देखा, पुलिस-यान में बैठे हो तुम
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर, मैं हूँ अंदर
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलेंडर
मिथिला और बाबा नागार्जुन
 

बुधवार, 17 मार्च 2010

कहाँ गेला घटक ?


घटक !घटकैती ,शायद इ शब्द आब मिथिला स विलुप्त भय गेल अछि .शादी- विवाह के मामला में घटक के भूमिका ८० के दशक तक स्थापित और मान्य छल ,लेकिन अचानक घटक के विलुप्त प्राणी के संज्ञा सेहो भेट गेलेन्ही .डायनासोर के विलुप्त हेबाक कारण पर शोध एखनहु चली रहल अछि लेकिन घटक के विषय में चर्चा केनाय हम सब छोड़ी देने छि .साहित्यक सन्दर्भ मानी त स्वयं नारद मुनि सेहो कतेको कन्यादान में घटक के भूमिका निभोलैन्ही .नारद मुनि के अहि परंपरा के मिथिला में कतेको लोग निभेलैंह .कियो एकरा सामाजिक दायित्वा मान्लैंह त कियो एकरा पेशा क रूप में पारिभाषित कैलैंह .बतौर घटकैती हुनका कमीसन भेटैत छालैंह .यानि समाज में एकर मान्यता छल और जरूत सेहो .

दबल स्वर में ही सही ,लेकिन मिथिला में किछु लोग राम -सीता के असफल जोड़ी करार देत छथि. हुनकर तर्क छैन्ह जी जे अहि तरहक स्वयंबर के रिवाज मिथिला में नहीं छल .पहिल बेर राजा जनक अपन पुत्री के स्वयं ब़र चुनवाक अनुमति देने छेल्खिंह .लेकिन की सीता उपयुक्त ब़र चुनवा में असफल भेलथी? असमय सीता के इ विवाह वन्धन स मुक्ति के लेल प्राणत्याग करै परलैंह.बहुत सवाल लेकिन जवाब कम भेटत .त की मिथिला में अहि घटना के बाद पिता ब़र चुनाव करबाक अधिकार बेटी स छीन लेलखिन .इ विषय बहस के जरूर भय सकैत अछि लेकिन निषकर्ष शायद किछु नहीं भेटत .
 
लेकिन  घटक के समाज में मान्यता भेटल . शादी विवाह के लेल सभा लगाओल गेल ,यानी विवाह के मामला के निष्पादन के लेल समाज में किछु संस्थागत परिपाटी शुरू भेल .संस्कृति रूप में मिथिला आई ओही ठाम ठार अछि जाहि ठाम चौदहवी शताब्दी में मिथिला छल .पंजियार स लाक गोत्र मिलान क सब परंपरा कायम अछि .रीती स रिवाज तक सब विधि विधान कायम अछि लेकिन संस्था कतो भुतिया गेल अछि . घटक हरा गेल छैथि ,समाज जिम्मेदारी ले सय कन्नी काटी रहल अछि .बेटी क विवाह क चिंता सिर्फ बाप के छैन्ह ,समाज क अहि स कोनो लेना देना नहीं छैक .कियो  पूछे वाला नहीं छैथि जे दहेज़ के एतेक मांग किया बढ़ल अछि .अहि असहिष्णु दहेज़ क मांग में गरीब के बेटी क विवाह कोना होयत.? इ चिंता हमर समाज की छि 
 
मिथिला स पलायन अहि संकिर्ता के और बढ़ेलक अछि .शहर हो या महानगर या फिर विदेश में रहे वाला मैथिल अइयो शादी विवाह मिथिला परम्परा स करेबाक लेल उत्सुक छैथि .लेकिन हुनकर दायरा सीमित भय गेल छैन्ह .हुनकर पावनी तिहार डाइनिंग रूम तक सिमटी गेल छैन्ह .हमर परिचय सिकुड़ी गेल अछि .लेकिन हमर परंपरा कायम अछि .परिचय के विस्तार देवाक और कुन उपाय अछि .घटक के रूप में समदिया के विकसित करबाक और कोन उपाय भय सकैत अछि .समाज के अहाँक विचार और सलाह के जरूरत अछि .अहाँ अपन सलाह स अहि पता पर भेज सकैत छी .saurathsabhamithila@gmail.com ,vinodmishra64@gmail.com

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

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मिथिलाक खोज

१.गौरी-शंकर स्थान- मधुबनी जिलाक जमथरि गाम आऽ हैंठी बाली गामक बीच ई स्थान गौरी आऽ शङ्करक सम्मिलित मूर्त्ति आऽ एहि पर मिथिलाक्षरमे लिखल पालवंशीय अभिलेखक कारणसँ विशेष रूपसँ उल्लेखनीय अछि। ई स्थल एकमात्र पुरातन स्थल अछि जे पूर्ण रूपसँ गामक उत्साही कार्यकर्त्ता लोकनिक सहयोगसँ पूर्ण रूपसँ विकसित अछि। शिवरात्रिमे एहि स्थलक चुहचुही देखबा योग्य रहैत अछि। बिदेश्वरस्थानसँ २-३ किलोमीटर उत्तर दिशामे ई स्थान अछि।

२.भीठ-भगवानपुर अभिलेख- राजा नान्यदेवक पुत्र मल्लदेवसँ संबंधित अभिलेख एतए अछि। मधुबनी जिलाक मधेपुर थानामे ई स्थल अछि।

३.हुलासपट्टी- मधुबनी जिलाक फुलपरास थानाक जागेश्वर स्थान लग हुलासपट्टी गाम अछि। कारी पाथरक विष्णु भगवानक मूर्त्ति एतए अछि।

४.पिपराही-लौकहा थानाक पिपराही गाममे विष्णुक मूर्त्तिक चारू हाथ भग्न भए गेल अछि।

५.मधुबन- पिपराहीसँ १० किलोमीटर उत्तर नेपालक मधुबन गाममे चतुर्भुज विष्णुक मूर्त्ति अछि।

६.अंधरा-ठाढ़ीक स्थानीय वाचस्पति संग्रहालय- गौड़ गामक यक्षिणीक भव्य मूर्त्ति एतए राखल अछि।

७.कमलादित्य स्थान- अंधरा ठाढ़ी गामक लगमे कमलादित्य स्थनक विष्णु मंदिर कर्णाट राजा नान्यदेवक मंत्री श्रीधर दास द्वारा स्थापित भेल।

८.झंझारपुर अनुमण्डलक रखबारी गाममे वृक्ष नीचाँ राखल विष्णु मूर्त्ति, गांधारशैली मे बनाओल गेल अछि।

९.पजेबागढ़ वनही टोल- एतए एकटा बुद्ध मूर्त्ति भेटल छल, मुदा ओकर आब कोनो पता नहि अछि। ई स्थल सेहो रखबारी गाम लग अछि।


१०.मुसहरनियां डीह- अंधरा ठाढ़ीसँ ३ किलोमीटर पश्चिम पस्टन गाम लग एकटा ऊंच डीह अछि।बुद्धकालीन एकजनियाँ कोठली, बौद्धकालीन मूर्त्ति, पाइ, बर्त्तनक टुकड़ी आऽ पजेबाक अवशेष एतए अछि।

११.भगीरथपुर- पण्डौल लग भगीरथपुर गाममे अभिलेख अछि जाहिसँ ओइनवार वंशक अंतिम दुनू शासक रामभद्रदेव आऽ लक्ष्मीनाथक प्रशासनक विषयमे सूचना भेटैत अछि।

१२.अकौर- मधुबनीसँ २० किलोमीटर पश्चिम आऽ उत्तरमे अकौर गाममे एकटा ऊँच डीह अछि, जतए बौद्धकालक मूर्त्ति अछि।

१३.बलिराजपुर किला- मधुबनी जिलाक बाबूबरही प्रखण्डसँ ३ किलोमीटर पूब बलिराजपुर गाम अछि। एकर दक्षिण दिशामे एकटा पुरान किलाक अवशेष अछि। किला पौन किलोमीटर नमगर आऽ आध किलोमीटर चाकर अछि। दस फीटक मोट देबालसँ ई घेरल अछि।

१४. असुरगढ़ किला- मिथिलाक दोसर किला मधुबनी जिलाक पूब आऽ उत्तर सीमा पर तिलयुगा धारक कातमे महादेव मठ लग ५० एकड़मे पसरल अछि।

१५.जयनगर किला- मिथिलाक तेसर किला अछि भारत नेपाल सीमा पर प्राचीन जयपुर आऽ वर्त्तमान जयनगर नगर लग। दरभंगा लग पंचोभ गामसँ प्राप्त ताम्र अभिलेख पर जयपुर केर वर्णन अछि।

१६.नन्दनगढ़- बेतियासँ १२ मील पश्चिम-उत्तरमे ई किला अछि। तीन पंक्त्तिमे १५ टा ऊँच डीह अछि।

१७.लौरिया-नन्दनगढ़- नन्दनगढ़सँ उत्तर स्थित अछि, एतए अशोक स्तंभ आऽ बौद्ध स्तूप अछि।

१८.देकुलीगढ़- शिवहर जिलासँ तीन किलोमीटर पूब हाइवे केर कातमे दू टा किलाक अवशेष अछि। चारू दिशि खाइ अछि।

१९.कटरागढ़- मुजफ्फरपुरमे कटरा गाममे विशाल गढ़ अछि, देकुली गढ़ जेकाँ चारू कात खधाइ खुनल अछि।

२०.नौलागढ़-बेगुसरायसँ २५ किलोमीटर उत्तर ३५० एकड़मे पसरल ई गढ़ अछि।


२१.मंगलगढ़-बेगूसरायमे बरियारपुर थानामे काबर झीलक मध्य एकटा ऊँच डीह अछि। एतए ई गढ़ अछि।

२२.अलौलीगढ़-खगड़ियासँ १५ किलोमीटर उत्तर अलौली गाम लग १०० एकड़मे पसरल ई गढ़ अछि।

२३.कीचकगढ़-पूर्णिया जिलामे डेंगरघाटसँ १० किलोमीटर उत्तर महानन्दा नदीक पूबमे ई गढ़ अछि।

२४.बेनूगढ़-टेढ़गछ थानामे कवल धारक कातमे ई गढ़ अछि।

२५.वरिजनगढ़-बहादुरगंजसँ छह किलोमीटर दक्षिणमे लोनसवरी धारक कातमे ई गढ़ अछि।

२६.गौतम तीर्थ- कमतौल स्टेशनसँ ६ किलोमीटर पश्चिम ब्रह्मपुर गाम लग एकटा गौतम कुण्ड पुष्करिणी अछि।

२७.हलावर्त्त- जनकपुरसँ ३५ किलोमीटर दक्षिण पश्चिममे सीतामढ़ी नगरमे हलवेश्वर शिव मन्दिर आऽ जानकी मन्दिर अछि। एतएसँ देढ़ किलोमीटर पर पुण्डरीक क्षेत्रमे सीताकुण्ड अछि। हलावर्त्तमे जनक द्वार हर चलएबा काल सीता भेटलि छलीह। राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी) आऽ जानकी नवमी (वैशाख शुक्ल नवमी) पर एतए मेला लगैत अछि।

२८.फुलहर-मधुबनी जिलाक हरलाखी थानामे फुलहर गाममे जनकक पुष्पवाटिका छल जतए सीता फूल लोढ़ैत छलीह।

२९.जनकपुर-बृहद् विष्णुपुराणमे मिथिलामाहात्म्यमे जनकपुर क्षेत्रक वर्णन अछि। सत्रहम शताब्दीमे संत सूर किशोरकेँ अयोध्यामे सरयू धारमे राम आऽ जानकीक दू टा भव्य मूर्त्ति भेटलन्हि, जकरा ओऽ जानकी मन्दिर, जनकपुरमे स्थापित कए देलन्हि। वर्त्तमान मन्दिरक स्थापना टीकमगढ़क महारानी द्वारा १९११ ई. मे भेल। नगरक चारूकात यमुनी, गेरुखा आऽ दुग्धवती धार अछि। राम नवमी (चैत्र शुक्ल नवमी),जानकी नवमी (वैशाख शुक्ल नवमी) आऽ विवाह पंचमी (अगहन शुक्ल पंचमी) पर एतए मेला लगैत अछि।

३०.धनुषा- जनकपुरसँ १५ किलोमीटर उत्तर धनुषा स्थानमे पीपरक गाछक नीचाँ एकटा धनुषाकार खण्ड पड़ल अछि। रामक तोड़ल ई धनुष अछि। एहिसँ पूब वाणगंगा धार बहैत अछि जे लक्ष्मण द्वारा वाणसँ उद्घाटित भेल छल।

३१.सुग्गा-जनकपुर लग जलेश्वर शिवधामक समीप सुग्गा ग्राममे शुकदेवजीक आश्रम अछि। शुकदेवजी जनकसँ शिक्षा लेबाक हेतु मिथिला आयल छ्लाह- एहि ठाम हुनकर ठहरेबाक व्यवस्था भेल छल।

३२.सिंहेश्वर- मधेपुरासँ ५ किलोमीटर गौरीपुर गाम लग सिंहेश्वर शिवधाम अछि।

३३.कपिलेश्वर-कपिल मुनि द्वार स्थापित महादेव मधुबनीसँ ६ किलोमीटर पश्चिमममे अछि।

३४.कुशेश्वर- समस्तीपुरसँ उत्तर-पूब, लहेरियासरायसँ 60 किलोमीटर दक्षिण-पूब आऽ सहरसासँ २५ किलोमीटर पश्चिम ई एकटा प्रसिद्ध शिवस्थान अछि।

३५.सिमरदह-थलवारा स्टेशन लग शिवसिंह द्वारा बसाओल शिवसिंहपुर गाम लग ई शिवमन्दिर अछि।

३६.सोमनाथ- मधुबनी जिलाक सौराठ गाममे सभागाछी लग सोमदेव महादेव छथि।

३७.मदनेश्वर- मधुबनी जिलाक अंधरा ठाढ़ीसँ ४ किलोमीटर पूब मदनेश्वर शिव स्थान अछि।

३८.बसैटी अभिलेख- पूणियाँमे श्रीनगर लग मिथिलाक्षर ई अभिलेख मिथिलाक पहिल महिला शासक रानी इद्रावतीक राज्यकालक वर्णन करैत अछि। एकर आधार पर मदनेश्वर मिश्र ’एक छलीह महारानी’ उपन्यास सेहो लिखने छथि।

३९.चण्डेश्वर- झंझारपुरमे हररी गाम लग चण्डेश्वर ठाकुर द्वारा स्थापितचण्डेश्वर शिवस्थान अछि।

४०.बिदेश्वर-मधुबनी जिलामे लोहनारोड स्टेशन लग स्थित शिवधाम स्थापना महाराज माधवसिंह कएलन्हि। ताहि युगक मिथिलाक्षरमे अभिलेख सेहो एतए अछि।

४१.शिलानाथ- जयनगर लग कमला धारक कातमे शिलानाथ महादेव छथि।

४२.उग्रनाथ-मधुबनीसँ दक्षिण पण्डौल स्टेशन लग भवानीपुर गाममे उगना महादेवक शिवलिंग अछि। विद्यापतिकेँ प्यास लगलन्हि तँ उगनारूपी महादेव जटासँ गंगाजल निकालि जल पिएलखिन्ह। विद्यापतिक हठ कएला पर एहि स्थान पर गना हुनका अपन असल शिवरूपक दर्शन देलखिन्ह।

४३.उच्चैठ छिन्नमस्तिका भगवती- कमतौल स्टेशनसँ १६ किलोमीटर पूर्वोत्तर उच्चैठमे कालिदास भगवतीक पूजा करैत छलाह। भगवतीक मौलिक मूर्त्ति मस्तक विहीन अछि।


४४.उग्रतारा-मण्डन मिश्रक जन्मभूमि महिषीमे मण्डनक गोसाउनि उग्रतारा छथि।

४५.भद्रकालिका- मधुबनी जिलाक कोइलख गाममे भद्रकालिका मंदिर अछि।

४६.चामुण्डा-मुजफ्फर्पुर जिलामे कटरगढ़ लग लक्ष्मणा वा लखनदेइ धार लग दुर्गा द्वारा चण्ड-मुण्डक वध कएल गेल। ओहि स्थान पर ई मन्दिर अछि।

४७.परसा सूर्य मन्दिर- झंझारपुरमे सग्रामसँ पाँच किलोमीटर पूर्व परसा गाममे सढ़े चारि फीटक भव्य सूर्य मूर्त्ति भेटल अछि।

४८.बिसफी- मधुबनी जिलाक बेनीपट्टी थानामे कमतौल रेलवे स्टेशनसँ ६ किलोमीटर पूब आऽ कपिलेश्वर स्थानसँ ४ किलोमीटर पश्चिम बिसफी गाम अछि। विद्यापतिक जन्म-स्थान ई गाम अछि। एतए विद्यापतिक स्मारक सेहो अछि।

४९.मंदार पर्वत-बांका स्थित स्थलमे मिथिलाक्षरक गुप्तवंशीय ७म् शताब्दीक अभिलेख अछि। समुद्र मंथनक हेतु मंदारक प्रयोग भेल छल।

५०.विक्रमशिला-भागलपुरमे स्थित ई विश्वविद्यालय बौद्ध नालन्दा विश्वविद्यालयक विपरीत सनातन धर्मक शिक्षाक केन्द्र रहल।

५१.मिथिलाक बीस टा सिद्ध पीठ- १.गिरिजास्थान(फुलहर,मधुबनी),२.दुर्गास्थान(उचैठ, मधुबनी),३.रहेश्वरी(दोखर,मधुबनी),४.भुवनेश्वरीस्थान(भगवतीपुर,मधुबनी),५.भद्रकालिका(कोइलख, मधुबनी),६.चमुण्डा स्थान(पचाही, मधुबनी),७.सोनामाइ(जनकपुर, नेपाल),८.योगनिद्रा(जनकपुर, नेपाल)९.कालिका स्थान(जनकपुर स्थान),१०.राजेश्वरी देवी(जनकपुर, नेपाल),११.छिनमस्ता देवी(उजान, मधुबनी),१२.बन दुर्गा(खररख, मधुबनी),१३.सिधेश्वरी देवी(सरिसव, मधुबनी),१४.देवी-स्थान(अंधरा ठाढ़ी,मधुबनी),१५.कंकाली देवी(भारत नेपाल सीमा आऽ रामबाग प्लेस, दरभंगा)१६.उग्रतारा(महिषी, सहरसा), १७.कात्यानी देवी(बदलाघाट, सहरसा),१८.पुरन देवी(पूर्णियाँ),१९.काली स्थान(दरभंगा),२०.जैमंगलास्थान(मुंगेर)।
 साभार -डिस्कवरी ऑफ मिथिला -गजेन्द्र ठाकुर

बुधवार, 10 मार्च 2010

भूलल विसरल विद्यापतिक गीत

कुञ्ज भवन स निकसल रे रोकल गिरधारी .
एकही नगर बसु मादव हे जनि करू बटमारी .
छोडू कनहैया मोर आँचर रे फाटत नब साडी
अपजस होयत जगत भरी हे जनि करिय उघारी .

संग सखी अगुआइल रे हम एकसरी नारी
दामिनी आय तुलामती हे एक राती अन्हारी
भनहि विद्यापति गाओल रे सुनी गुनमति नारी
हरिक संग कछु डर नहीं हे तोहे परम गमारी ..
( २ )

के पतिआ लय जायत रे, मोरा पिअतम पास।

हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल सावन मास।।

एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय।

सखि अनकर दुख दारुन रे, जग के पतिआय।।

मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल।

गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।।

विद्यापति कवि गाओल रे, धनि धरु मन आस ।

आओत तोर मन भावन रे, एहि कातिक मास।।





(३)

चानन भेल विषम सर रे, भुषन भेल भारी।

सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी।।

एकसरि ठाठि कदम-तर रे, पथ  हरेधि मुरारी।

हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी।।

जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे।

चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह।।

कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।

आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी।।

रविवार, 7 मार्च 2010

मिथिलाक वंदना


जय जय भैरवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनी माया.
सहज सुमति वर दिअओ गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया .
वासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूड़ा.
कतओक दैत्य मारि मुख मेलल
कतओ उगिलि कैल कूड़ा.
सामर वरन नयन अनुरंजित
जलद जोग फुल कोका.
कट-कट विकट ओठ फुट पांड़रि
लिधुर फेन उठ फौका.
घन घन घनन नुपूर कत बाजय
हन हन कर तुअ काता.
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरु जनि माता.

शुक्रवार, 5 मार्च 2010

कवि कोकिल विद्यापति






गौरा तोर अंगना।
बर अजगुत देखल तोर अंगना।

एक दिस बाघ सिंह करे हुलना ।
दोसर बरद छैन्ह सेहो बौना।।
हे गौरा तोर ................... ।

पैंच उधार माँगे गेलौं अंगना ।
सम्पति मध्य देखल भांग घोटना ।।
हे गौरा तोर ................ ।

खेती न पथारि शिव गुजर कोना ।
मंगनी के आस छैन्ह बरसों दिना ।।
हे गौरा तोर ............... ।




कार्तिक गणपति दुई चेंगना।
एक चढथि मोर एक मुसना।।
हे गौर तोर ............ ।

भनहि विद्यापति सुनु उगना ।
दरिद्र हरण करू धइल सरना ।।

बुधवार, 3 मार्च 2010

मिथिला में कन्यादान एकटा जटिल समस्या

सौराठ सभा कहिया अस्तित्वा में आयल और किया आयल इ बात शोध के विषय भय सकैत अछि ,लेकिन सभा मैथिल समाज के लेल अइयो अपरिहार्य अछि . इ बात स इनकार नहीं कयल जा सकैत अछि .सभा गाछी स लक इ सभा तक मिथिला समाज कतेक दौर देखलैंह अछि लेकिन कन्यादान के मामला में समस्या जस के तस अछि । जाहिर अछि मॉस मीडिया के जे भूमिका मैथिल समाज के बीच होइबक चाही से नहीं भय सकल । दिल्ली स्थित मिडिया स जुडल लोग अपन सामाजिक दायित्व के निहितार्थ इ प्रयास शुरू केलेन्ह अछि जे एक बेर फेर मैथिल समाज क सभा स्थापित कयल जाय । यानी कन्यादान क लेल सिमित विकल्प में विस्तार देल जाय । ३० साल पहिने मिथिला में सौराठ सभा के अलावा १४ सभा लागैत छल ,जाहिमे कन्या क पिता अपन सुबिधा स बर तलासैत छलाह । इ सभा मिथिला के तक़रीबन हर इलाका में छल । परतापुर सभा ,खामगादी सभा ,शिवहर सभा ,गोविन्द पुर सभा ,फत्तेपुर सभा ,सिझौल सभा ,सुख्सैना सभा ,अखरही सभा ,हेमानगर सभा ,बलुआ सभा ,बरौली सभा ,समौल सभा ,सहसौला सभा । कही सकैत छि जे अहि सभा क तार कतो न कतो वैदिक सभा स जुडल अछि । आस्थावान लोक एही सभा के तीर्थ मानैत छलाह । लेकिन आस्था में कमी आयल ,जिन्दगी में व्यस्तता बढ़ल, सामाजिक सरोकार बदलल त इ सभा क अस्तित्व ख़तम भय गेल । सभा क अस्तित्वा ख़तम भई गेल ,लेकिन की परंपरा क आग्रही समाज आचार विचार में कोनो परिवर्तन लैब सक्लैथ? जाहिर अछि कन्यादान क प्रति मैथिल समाज क आस्था और परंपरा कायम अछि । महराजा हरिसिंह देव के समय स चलै वाला पंजीकार क प्रथा जारी अछि । यानी सबकिछु विधिवत जारी अछि ,सिर्फ परिचय क अभाव अछि । जाहिर अछि दहेज़ समाज पर हावी अछि । पिछला पांच साल स बेटी क विवाह क लेल संघर्ष करैत कामेश्वर बाबू अहि होली में फोन केलैंह जे एकटा सुयोग्य बर ताकू । हमरा बुझल छल जे अपन पूरा परिशक्ति लगा कई कामेश्वर बाबू सरकारी सेवा में उच्च पद पर कार्यरत दूल्हा चाहैत छलाह । दहेज़ क कोनो शर्त नहि,यानि मुह माँगा । लेकिन आब सिर्फ सुयोग्य बर चाही । इ मैथिल समाजक पिता क मजबूरी अछि या मैथिल समाजक बीच विकल्पक अभाव । मैथिल समाज में विकल्प के बढ़वाई के लेल अहांक सहयोग अपेक्षित अछि । अहांक सुझाव अपेक्षित अछि । विभा रानी क सुझाव पर सेहो गौर कैयल जा सकैत अछि जे पलायन मिथिला स एकटा जाती विशेष के नहि भेल छैन बल्कि अहिमे हर समुदाय के लोग प्रभावित छैथ एकरा विस्तार देवाक जरूरी अछि । अहाँ अपन सुझाव अहि इ मेल पर सेहो भेज सकैत छि । saurathsabhamithila@gmail.com

सोमवार, 1 मार्च 2010

मिथिलाक सौराठ सभा


तीस साल पहिने हम अपन बाबा स इ पूछने रही जे लोग सभा गाछी किया जैत छैथ.सभा गाछी में एहन मेला किया लागैत छैक ,मिथिला के अलावा एहन मेला कतो और लागैत छैक ? हमरा मोन में कतेक सवाल छल, सौराठक ओही मेला के सम्बन्ध में .मनेमन हंसी सेहो लागैत छल जे एहनो कोनो मेला होइत छैक जाहिमे बडद,महिंस जका बर यानि दूल्हा बिकैत होथि। लेकिन बाबा के जवाब हमरा काफी हद तक संतुस्ट कयलक छल .संवादक अभाव में मैथिल समाज सभा गाछी के विकल्प के रूप में स्थापित कैलैन। जाहिमे गाम गामक लोक ओही मेला में जुइट एक दोसरक परिवार क विस्तृत जानकारी लेत छलाह .कन्यादान क उपक्रम में लागल पिता मेला में बर के खोजवाक उपक्रम में लागल रहैथ त जिनका साल दू साल कन्यादान में विलम्ब रहिन वो ठेकियाबे में लागल रहथि। सिंगल विंडो सिस्टम के आधार पर चट मंगनी पट बियाह यानी पंजीकार स लक बाराती के सामान सेहे उपलब्ध भै जैत छलनी । आई वो सभा गाछी हमरा सबहक अमिल्दारी में नहीं अछि .नहीं कोनो दोसर संवाद क आन श्रोत ,कही त संवाद हीनता के इस्थिति आई पाहिले स बेसी बिकट अछि .रोजी रोटी आ प्रतिभा पलायन क बैढ़ में सबस ज्यादा पलायन मिथिला स भेल । देश कि विदेश में मैथिल समाज अपन विस्तार केलैथ। मैथिल समाज अपन संघर्ष और प्रतिभा स अपना के दुबारा स्थापित केलैथ । लेकिन परिचय आ संवाद के रूप में जहिना स्थिति पाच सौ साल पाहिले छल ओहने स्थिति अइयो अछि । हमरा एक दूसरा स परिचय नहीं अछि ,एक दोसरा क पारिवारिक जानकारी नहीं अछि .आई गाँव में एकटा साधारण सरकारी नौकरी करे वाला लड़का के पिता दहेज़ में ६ स ७ लाख रुपया मांगे छाथिन त इ बात कहल जा सकैत छैक जे मैथिल समाज में कन्यादान के मामला में विकल्प सिमित छैक ,निक स निक बर के मामला में लोक के जानकारी के अभाव छैक । दहेज़ स अभिशप्त मिथिला में परिचय फैलेवाक एकटा पहल होइवाक चाही .भाषण स दहेज़ प्रथा ख़तम नहीं कैल जा सकैत अछि ,विकल्प बढ़ा क दहेज़ प्रथा के हतोत्साहित जरूर कैल जा सकैत अछि .कमसकम अपन अपन परिचय बाटी हम अहि अभियान के कारगर जरूर बना सकैत छि या अहि सम्बन्ध में और नीक विचार सामने लैब सकैत छि । अहाँक सहयोग और विचार क हम प्रतीक्षा करब । धन्यवाद ।