
दबल स्वर में ही सही ,लेकिन मिथिला में किछु लोग राम -सीता के असफल जोड़ी करार देत छथि. हुनकर तर्क छैन्ह जी जे अहि तरहक स्वयंबर के रिवाज मिथिला में नहीं छल .पहिल बेर राजा जनक अपन पुत्री के स्वयं ब़र चुनवाक अनुमति देने छेल्खिंह .लेकिन की सीता उपयुक्त ब़र चुनवा में असफल भेलथी? असमय सीता के इ विवाह वन्धन स मुक्ति के लेल प्राणत्याग करै परलैंह.बहुत सवाल लेकिन जवाब कम भेटत .त की मिथिला में अहि घटना के बाद पिता ब़र चुनाव करबाक अधिकार बेटी स छीन लेलखिन .इ विषय बहस के जरूर भय सकैत अछि लेकिन निषकर्ष शायद किछु नहीं भेटत .
लेकिन घटक के समाज में मान्यता भेटल . शादी विवाह के लेल सभा लगाओल गेल ,यानी विवाह के मामला के निष्पादन के लेल समाज में किछु संस्थागत परिपाटी शुरू भेल .संस्कृति रूप में मिथिला आई ओही ठाम ठार अछि जाहि ठाम चौदहवी शताब्दी में मिथिला छल .पंजियार स लाक गोत्र मिलान क सब परंपरा कायम अछि .रीती स रिवाज तक सब विधि विधान कायम अछि लेकिन संस्था कतो भुतिया गेल अछि . घटक हरा गेल छैथि ,समाज जिम्मेदारी ले सय कन्नी काटी रहल अछि .बेटी क विवाह क चिंता सिर्फ बाप के छैन्ह ,समाज क अहि स कोनो लेना देना नहीं छैक .कियो पूछे वाला नहीं छैथि जे दहेज़ के एतेक मांग किया बढ़ल अछि .अहि असहिष्णु दहेज़ क मांग में गरीब के बेटी क विवाह कोना होयत.? इ चिंता हमर समाज की छि
मिथिला स पलायन अहि संकिर्ता के और बढ़ेलक अछि .शहर हो या महानगर या फिर विदेश में रहे वाला मैथिल अइयो शादी विवाह मिथिला परम्परा स करेबाक लेल उत्सुक छैथि .लेकिन हुनकर दायरा सीमित भय गेल छैन्ह .हुनकर पावनी तिहार डाइनिंग रूम तक सिमटी गेल छैन्ह .हमर परिचय सिकुड़ी गेल अछि .लेकिन हमर परंपरा कायम अछि .परिचय के विस्तार देवाक और कुन उपाय अछि .घटक के रूप में समदिया के विकसित करबाक और कोन उपाय भय सकैत अछि .समाज के अहाँक विचार और सलाह के जरूरत अछि .अहाँ अपन सलाह स अहि पता पर भेज सकैत छी .saurathsabhamithila@gmail.com ,vinodmishra64@gmail.com
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