सोमवार, 1 मार्च 2010

मिथिलाक सौराठ सभा


तीस साल पहिने हम अपन बाबा स इ पूछने रही जे लोग सभा गाछी किया जैत छैथ.सभा गाछी में एहन मेला किया लागैत छैक ,मिथिला के अलावा एहन मेला कतो और लागैत छैक ? हमरा मोन में कतेक सवाल छल, सौराठक ओही मेला के सम्बन्ध में .मनेमन हंसी सेहो लागैत छल जे एहनो कोनो मेला होइत छैक जाहिमे बडद,महिंस जका बर यानि दूल्हा बिकैत होथि। लेकिन बाबा के जवाब हमरा काफी हद तक संतुस्ट कयलक छल .संवादक अभाव में मैथिल समाज सभा गाछी के विकल्प के रूप में स्थापित कैलैन। जाहिमे गाम गामक लोक ओही मेला में जुइट एक दोसरक परिवार क विस्तृत जानकारी लेत छलाह .कन्यादान क उपक्रम में लागल पिता मेला में बर के खोजवाक उपक्रम में लागल रहैथ त जिनका साल दू साल कन्यादान में विलम्ब रहिन वो ठेकियाबे में लागल रहथि। सिंगल विंडो सिस्टम के आधार पर चट मंगनी पट बियाह यानी पंजीकार स लक बाराती के सामान सेहे उपलब्ध भै जैत छलनी । आई वो सभा गाछी हमरा सबहक अमिल्दारी में नहीं अछि .नहीं कोनो दोसर संवाद क आन श्रोत ,कही त संवाद हीनता के इस्थिति आई पाहिले स बेसी बिकट अछि .रोजी रोटी आ प्रतिभा पलायन क बैढ़ में सबस ज्यादा पलायन मिथिला स भेल । देश कि विदेश में मैथिल समाज अपन विस्तार केलैथ। मैथिल समाज अपन संघर्ष और प्रतिभा स अपना के दुबारा स्थापित केलैथ । लेकिन परिचय आ संवाद के रूप में जहिना स्थिति पाच सौ साल पाहिले छल ओहने स्थिति अइयो अछि । हमरा एक दूसरा स परिचय नहीं अछि ,एक दोसरा क पारिवारिक जानकारी नहीं अछि .आई गाँव में एकटा साधारण सरकारी नौकरी करे वाला लड़का के पिता दहेज़ में ६ स ७ लाख रुपया मांगे छाथिन त इ बात कहल जा सकैत छैक जे मैथिल समाज में कन्यादान के मामला में विकल्प सिमित छैक ,निक स निक बर के मामला में लोक के जानकारी के अभाव छैक । दहेज़ स अभिशप्त मिथिला में परिचय फैलेवाक एकटा पहल होइवाक चाही .भाषण स दहेज़ प्रथा ख़तम नहीं कैल जा सकैत अछि ,विकल्प बढ़ा क दहेज़ प्रथा के हतोत्साहित जरूर कैल जा सकैत अछि .कमसकम अपन अपन परिचय बाटी हम अहि अभियान के कारगर जरूर बना सकैत छि या अहि सम्बन्ध में और नीक विचार सामने लैब सकैत छि । अहाँक सहयोग और विचार क हम प्रतीक्षा करब । धन्यवाद ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. i think, this is really very interesting concept, i appeal to young generation of mithila to support it..
    pallav

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  2. विचार अति उत्तम! मुदा देखल जाए जे सौराठ सभाक परम्परा मे एक जाति विशेष मूल मे अछि. ई सम्पूर्ण आयोजन हुनके लेल छल. मिथिला से पलायन मात्र एक्खि टा जाति विशेष के नयि छै. त' पहिने त' ई कएल जाए जे सौराठ सभा के सम्पूर्ण मिथिला लेल बनाओल जी (कम से कम) आ सभ जाति गोत्रक लोक लेल राखल जाए. (हमरा ओना ई जाति पाति मे सेहो आपत्ति, मुदा हमर आपत्ति से लोक अपन जातिक मान्यता के नयि छोडि देत.)तहने मिथिलाक आ सौराठ सभाक प्रतिनिधित्वक गप्प आ ओहि से वैवाहिक समस्याक निदान के खोज लेल एक गोट सम्भावना पर प्रयासक गप कएल जा सकैछ.

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