जय जय भैरवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनी माया.
सहज सुमति वर दिअओ गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया .
वासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूड़ा.
कतओक दैत्य मारि मुख मेलल
कतओ उगिलि कैल कूड़ा.
सामर वरन नयन अनुरंजित
जलद जोग फुल कोका.
कट-कट विकट ओठ फुट पांड़रि
लिधुर फेन उठ फौका.
घन घन घनन नुपूर कत बाजय
हन हन कर तुअ काता.
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरु जनि माता.
पशुपति भामिनी माया.
सहज सुमति वर दिअओ गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया .
वासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूड़ा.
कतओक दैत्य मारि मुख मेलल
कतओ उगिलि कैल कूड़ा.
सामर वरन नयन अनुरंजित
जलद जोग फुल कोका.
कट-कट विकट ओठ फुट पांड़रि
लिधुर फेन उठ फौका.
घन घन घनन नुपूर कत बाजय
हन हन कर तुअ काता.
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरु जनि माता.
ई भगवती गीत सुनि मोन हर्षित भ गेल । आहाँक बहुत बहुत धन्यवाद ई गीत के लेल । आहाँक ब्लाग बहुत नीक लागल । आशा अछि कि नीक नीक लेख आ कविता आ गीत इत्यादि पढ़ैक भेंटत । शुभकामना
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दियौ, टिप्पणी करै में सुविधा होऐत छै ।
wah!!! mithila ke e sundar gaan sun ka man bahut prafullit bhel... aahan k bahut bahut dhanyavaad...
जवाब देंहटाएंRahul